बहाई धर्म का परिचय

बहाई धर्म का संक्षिप्त परिचय

बहाई लोटस टेम्पल नई दिल्ली भारत

सभी धर्मों का सार एक ही है

बहाई धर्म एक विश्व धर्म है जिसका आरंभ 1844 ईस्वी में हुआ था। बहाई लोग बहाउल्लाह (एक उपाधि जिसका अर्थ है ‘ईश्वर की महिमा’) की शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं, जिन्हें वे ईश्वर का एक संदेशवाहक मानते हैं। बहाउल्लाह ने हमें यह शिक्षा दी कि हम जिस ईश्वर की आराधना करते हैं वह वस्तुतः एक ही ईश्वर है जिसे हम अल्लाह, यहोवा, सृष्टिकर्ता या परम शक्ति जैसे अनेक नामों से पुकारते हैं। हम ईश्वर को नहीं जान सकते क्योंकि उसके सार-तत्व को समझना हमारी क्षमता से परे है। उसकी महानता को समझने और उसके प्रेम का अनुभव करने का एकमात्र तरीका उसके संदेशवाहकों के माध्यम से है। बहाई यह भी मानते हैं कि ये प्रबुद्ध अवतार थोड़ी-सी संख्या में हज़ारों वर्षों के दौरान, समय-समय पर और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रकट हुए हैं। बहाइयों की मान्यता है कि बहाउल्लाह इन दिव्य शिक्षकों में नवीनतम हैं। बहाई धर्म किसी भी धर्म को महत्वहीन समझनेका प्रयास नहीं करता, बल्कि वह विश्व के सभी महान धर्मों के उद्देश्यों को मानव जाति के आध्यात्मिक जीवन के विकास के क्रमिक चरणों के रूप में मान्यता देता है।

जब हम प्रत्येक धर्म को सावधानी से परखते हैं और उनके अनुयायियों द्वारा अपनाए जाने वाले रीति-रिवाज़ों को अलग करके देखते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वे सभी मानवता के लिए प्रेम और सौहार्द की समान आध्यात्मिक शिक्षाएं लेकर आए हैं जिनसे लोगों के हृदय परिवर्तित हुए हैं और विश्व में नवजीवन का संचार हुआ है। उनके बीच एकमात्र अंतर सामाजिक शिक्षाओं का है और वे शिक्षाएं इसलिए अलग-अलग हैं क्योंकि ईश्वर के संदेशवाहक अलग-अलग समय में इस संसार में आए और उनकी शिक्षाएं उस विशेष युग की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं जिसमें वे रहते हैं। कृष्ण, बुद्ध, जरथुस्त्र, अब्राहम, मूसा, ईसा और मुहम्मद सभी ईश्वर के संदेशवाहक हैं जो इतिहास के अलग-अलग कालखंड में अवतरित हुए और उनमें से प्रत्येक ने इतिहास को एक नई दिशा दी। कृष्ण की शिक्षाएं भारत और पड़ोसी देशों में सभ्यता की एक नई किरण लेकर आईं। मूसा ने भी अपने लोगों को दासता से मुक्त करने के बाद एक महान सभ्यता की स्थापना की। बुद्ध एशियाई लोगों के लिए एक नया प्रकाश लेकर आए। जरथुस्त्र की शिक्षाओं ने फ़ारस में अंधविश्वास में निमग्न संस्कृति को रूपांतरित कर दिया। ईसा ने पश्चिमी विश्व को एक नई दिशा दी। मुहम्मद ने अशिक्षित और बिखरे हुए लोगों का एक राष्ट्र के रूप में उन्नयन और एकीकरण किया। इनमें से प्रत्येक ने अपने पिछले संदेशवाहक की भविष्यवाणियों को पूरा किया और भविष्य में धर्म के नवीकरण का वचन दिया।

बहाई शिक्षाओं का मूल बिंदु है लोगों के हृदयों से शत्रुता और पूर्वाग्रह के नामो-निशान मिटाते हुए, एक विश्व-परिवार के रूप में मानव जाति की एकता।  विज्ञान और टेक्नोलॉजी के माध्यम से, आज हम एक ही दिन में दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने की यात्रा कर सकते हैं और एक-दूसरे के साथ तुरंत संवाद कर सकते हैं। राष्ट्र एक-दूसरे के सहयोग पर निर्भर हैं और सभी देशों के बीच समझ और सहायता की आवश्यकता को सामान्य रूप से स्वीकार कर लिया गया है। अतः, आज मानव जाति के लिए इस पृथ्वी को एकता के सूत्र में पिरोने की संकल्पना संभव है। और केवल इस एकता के माध्यम से ही हम उन समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होंगे जो वर्तमान विश्व के सामने खड़ी हैं। बहाई धर्म का उद्देश्य लोगों के दिलों से शत्रुता और घृणा के हर निशान को मिटाना और पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में एकजुट करना है। बहाई पवित्र लेखों में एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना के लिए आवश्यक संस्थाओं की रूपरेखा प्रदान की गई है। उनमें एक विश्व महासंघ या राष्ट्रकुल भी शामिल है जो सभी देशों की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा, जिसमें एक ऐसी विश्व संसद होगी जिसमें सभी सरकारों का प्रतिनिधित्व होगा, कानूनों को लागू करने के लिए एक विश्व कार्यपालिका और विवादों के निराकरण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय होगा। एक वैश्विक अर्थव्यवस्था, माप-तौल और मुद्रा की एक वैश्विक प्रणाली के साथ-साथ एक अंतर्राष्ट्रीय सहायक भाषा और लिपि को अपनाना भी इस विश्व राष्ट्रकुल की विशेषताएं होंगी। पृथ्वी के संसाधनों को सभी के लाभ के लिए सुरक्षित किया जाएगा। तब युद्ध और संघर्ष से मुक्त मानवता अपने जीवन स्तर को उन्नत बनाने, शिक्षा के विकास, बीमारियों की समाप्ति, कला और विज्ञान के उन्नयन और अपने आध्यात्मिक जीवन को विकसित करने जैसे कार्यों की दिशा में अग्रसर हो सकेगी।

एक अन्य महत्वपूर्ण शिक्षा है सत्य की स्वतंत्र खोज। हमें सत्य की खोज स्वयं करनी चाहिए और दूसरों के तौर-तरीकों या अतीत के रीति-रिवाजों और परंपराओं का अंधाधुंध अनुसरण नहीं करना चाहिए। विज्ञान और धर्म के बीच तालमेल होना चाहिए। जो धर्म तर्क के बजाय अंधविश्वास पर निर्भर करता है वह अंधविश्वास है और कट्टरता की ओर ले जा सकता है। परमात्मा ने हमें धार्मिक सत्य सहित सभी सत्य को परखने के लिए बुद्धि दी है। एक अन्य बहाई शिक्षा है विश्वव्यापी शिक्षा जो कि हर किसी को समान अवसर प्रदान करने की रूपरेखा प्रदान करती है ताकि पुरुष और महिला समान रूप से आगे बढ़ सकें और दुनिया भर में महिलाएं मानव जाति की शांति और समृद्धि के लिए काम करने में पुरुषों के साथ अपना समुचित स्थान ग्रहण कर सकें। बहाउल्लाह अत्यधिक अमीरी और घोर गरीबी को समाप्त करने और सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों को त्यागने का आग्रह करते हैं। बहाई लेख हमें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं जिनसे व्यक्ति को उसके स्वभाव के मूल में निहित आध्यात्मिक और बौद्धिक गुणों को विकसित करने में सहायता मिलती है और इस प्रकार एक सतत विकासशील सभ्यता के निर्माण में योगदान प्राप्त होता है। आध्यात्मिक व्यक्ति बनने में हमारी सहायता करने के लिए प्रार्थना के अतिरिक्त, बहाई शिक्षाओं में कहा गया है कि सेवा की भावना से किया गया कार्य भी आराधना माना जाता है और मानव जाति की सेवा सबसे मूल्यवान प्रयास है।

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